नलखेड़ा माँ बगलामुखी मंदिर : भारत की पुण्यभूमि अनादि काल से ही शक्ति उपासना और सिद्ध साधनाओं का केन्द्र रही है। यह वही भूमि है जहाँ देव, दानव, ऋषि और स्वयं भगवान भी समय-समय पर शक्तियों की आराधना कर चुके हैं। ऐसे ही दिव्य और रहस्यमयी शक्तिपीठों में से एक है – माँ बगलामुखी सिद्धपीठ, जो मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा नामक स्थान पर स्थित है। यह स्थान उज्जैन से लगभग 100 किलोमीटर दूर, लखुंदर नदी के तट पर बसा है और यह मंदिर न केवल आस्था का केन्द्र है बल्कि तांत्रिक साधनाओं की सिद्ध भूमि के रूप में भी विश्वविख्यात है।
🌊 नलखेड़ा माँ बगलामुखी मंदिर लखुन्दर (लक्ष्मणा) नदी और पौराणिक कथा


नलखेड़ा की पवित्र धरती पर बहती लखुन्दर नदी, जिसे प्राचीन समय में “लक्ष्मणा नदी” के नाम से जाना जाता था, सिर्फ एक प्राकृतिक जलधारा नहीं है, बल्कि महाभारतकालीन इतिहास, तपस्या, और दैवीय शक्तियों की साक्षात साक्षी है।
📖 पाण्डवों की तपस्या और माँ बगलामुखी का आशीर्वाद
महाभारत के अज्ञातवास काल में जब पाण्डवों ने राजपाठ खो दिया था और जीवन संकट में था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें एक मार्ग दिखाया –
“माँ बगलामुखी की शरण में जाओ, वही तुम्हारे संकटों का समाधान है।”
भगवान की प्रेरणा से पाण्डव नलखेड़ा की ओर चले आए, और उन्होंने लखुन्दर नदी के पावन तट पर घोर तपस्या आरंभ की। यह वही स्थान है जहाँ आज माँ बगलामुखी का भव्य एवं सिद्ध मंदिर स्थित है।
- पाण्डवों ने कठोर व्रत, अनुष्ठान और साधना की।
- लखुन्दर नदी की निर्मल धारा के पास बैठकर वे दिन-रात माँ बगलामुखी का ध्यान करते रहे।
- उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माँ बगलामुखी देवी ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए।
माँ ने उन्हें आशीर्वाद दिया:
“हे धर्मपुत्र, हे कुन्तिपुत्रों! तुम धर्म के मार्ग पर चलो, सत्य का साथ दो – विजय तुम्हारी होगी।”
🪔 पाण्डवों की विजय और माँ बगला का योगदान
पौराणिक मान्यता है कि यदि माँ बगलामुखी की कृपा न होती, तो महाभारत का युद्ध पाण्डवों के पक्ष में विजय से समाप्त न होता।
कृष्ण तो युद्ध में शस्त्र नहीं उठा रहे थे, वह सिर्फ सारथी बने थे।
इसलिए जो अदृश्य शक्ति युद्ध भूमि में पाण्डवों को विजयी बना रही थी, वह माँ बगलामुखी ही थीं।
🏛️ नलखेड़ा माँ बगलामुखी मंदिर की प्राचीनता – विक्रमादित्य काल से पूर्व
- माँ बगलामुखी मंदिर का वर्णन राजा विक्रमादित्य के काल में भी मिलता है।
- विक्रम संवत से भी पूर्व, जब मानव सभ्यता शिल्पकला के प्रारंभिक चरण में थी, उस समय इस स्थान की पहचान एक तांत्रिक और सिद्ध साधना स्थल के रूप में हो चुकी थी।
- मूर्तिकला विशेषज्ञों के अनुसार, इस मंदिर की मूर्ति निर्माण शैली लगभग 3000 वर्ष पूर्व की है।
- यह सिद्ध करता है कि नलखेड़ा स्थित माँ बगलामुखी मंदिर, भारत के सबसे प्राचीन तांत्रिक शक्तिपीठों में से एक है।
🧘♀️ लखुन्दर नदी – केवल जल नहीं, तपस्वियों की साक्षी
लखुन्दर नदी के तट पर आज भी अनेक ऋषियों की समाधियाँ देखी जा सकती हैं। प्राचीन समय में यह क्षेत्र:
- ऋषि-मुनियों का तपोभूमि था।
- तांत्रिकों और योगियों का साधना स्थल।
- शक्तिसाधना और मन्त्रसिद्धि का प्रमुख केंद्र।
आज भी जब कोई श्रद्धालु लखुन्दर नदी के जल से स्नान करता है, तो वह उसी ऊर्जा और शुद्धता का अनुभव करता है, जैसा पाण्डवों ने किया होगा।
✨ लखुन्दर नदी का अध्यात्मिक महत्व
माना जाता है कि इस नदी का जल ऋद्धि, सिद्धि और तांत्रिक शक्तियों को जागृत करता है।
यह नदी नलखेड़ा मंदिर परिसर के ठीक पीछे बहती है और वर्ष भर इसका जल प्रवाह बना रहता है।
नदी के पवित्र जल का उपयोग माँ की पूजा, हवन, और तांत्रिक अनुष्ठानों में किया जाता है।
🏛️ कालिका पुराण और महाभारतकालीन प्रमाण
माँ की स्थापना को कालिका पुराण में वर्णित किया गया है। यह मूर्ति पांडव कालीन मानी जाती है, और इस मंदिर की त्रिशक्ति पीठ में माँ बगलामुखी के साथ-साथ महालक्ष्मी और मां सरस्वती भी पीठ रूप में विद्यमान हैं – दाईं ओर लक्ष्मी और बाईं ओर सरस्वती, बीच में माँ बगला विराजमान हैं।
इतिहासकार राजाराम शास्त्री और चिन्तामणि राव वैद्य जैसे मनीषियों का मत है कि महाभारत का काल ईसा पूर्व 5000 वर्ष पुराना है। यदि यह मत स्वीकार करें तो माँ बगला का यह मंदिर अत्यंत प्राचीन, पौराणिक और दिव्य धरोहर है।
🌊 प्राकृतिक सौंदर्य और संत परंपरा
मंदिर के पीछे बहती लखुंदर नदी (पुरातन नाम “लक्ष्मणा”) पूरे वर्ष जल से परिपूर्ण रहती है। यह नदी न केवल प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाती है बल्कि यह सिद्धों, तपस्वियों और संन्यासियों का साधना स्थल रही है। मंदिर के आस-पास अनेक संतों की समाधियाँ भी स्थित हैं। पूर्व दिशा में स्थित श्मशान भूमि (मुक्तिधाम) इस स्थान को एक शक्तिशाली तांत्रिक केंद्र प्रमाणित करती है।
🪔 दीपमाला, सभा मंडप और वास्तुकला
मंदिर परिसर में बना 16 खंभों वाला सभा मंडप संवत 1815 (ई.स. 1768) में पंडित ईबूजी ने बनवाया था। यह मंडप न केवल स्थापत्य की दृष्टि से अद्वितीय है बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें एक कछुआ माँ की ओर मुख करके बैठा है, जो बलि परंपरा का संकेत देता है।
मंदिर के ठीक सामने 32 फीट ऊँची दीपमाला स्थित है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसे स्वयं महाराजा विक्रमादित्य ने बनवाया था।
🚪 नलखेड़ा माँ बगलामुखी मंदिर परिसर के अन्य महत्वपूर्ण मंदिर
- दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर
- उत्तरमुखी राधा-कृष्ण मंदिर
- पूर्वमुखी भैरव मंदिर
- सिंहमुखी द्वार, जो मंदिर का प्रवेशद्वार है और अत्यंत प्रसिद्ध है।
📜 माँ बगलामुखी की पौराणिक उत्पत्ति

जब देवता दानवों से पराजित हो रहे थे और सृष्टि संकट में थी, तब ब्रह्मा, विष्णु और शिव त्रिदेवों ने शक्ति की आराधना की। भगवान शिव के रक्तवर्ण मुख से एक तेज पुंज उत्पन्न हुआ जिसने एक उग्र देवी का रूप धारण किया। पीत वस्त्रों में सजी, गदा और शत्रु की जीभ पकड़ने वाली यह देवी थीं – माँ बगलामुखी।
🌩️ भगवान विष्णु की साधना
एक प्रलयंकारी तूफान को रोकने में असमर्थ भगवान विष्णु स्वयं सौराष्ट्र के हरिद्रा सरोवर में जाकर माँ बगलामुखी की आराधना करते हैं। माँ प्रसन्न होकर उन्हें प्रलय से मुक्ति का उपाय बताती हैं। यहीं से माँ की शक्ति सर्वस्वीकार्य हो गई।
🔱 माँ बगलामुखी की आराधना का रहस्य
माँ बगलामुखी को “शत्रुनाशिनी”, “वाक् शक्ति की देवी” और “विरोधियों को स्तम्भित करने वाली” देवी कहा जाता है। उनकी साधना से:
- शत्रु पर विजय प्राप्त होती है
- वाद-विवाद में सफलता मिलती है
- वाणी में शक्ति और नियंत्रण आता है
- तांत्रिक सिद्धियाँ जाग्रत होती हैं
🔟 माँ बगलामुखी एवं दस महाविद्याओं में स्थान
माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में अष्टम स्थान रखती हैं। आइये उनके अन्य रूपों को भी समझें:
महाविद्या | स्वरूप | विशेषता |
---|---|---|
काली | विनाश और समय | मृत्यु से मुक्ति |
तारा | करुणा | संकट से रक्षा |
त्रिपुर सुंदरी | सौंदर्य | आध्यात्मिक सौंदर्य |
भुवनेश्वरी | रचना शक्ति | ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री |
छिन्नमस्ता | आत्मबलिदान | अहंकार नाश |
धूमावती | अंधकार, ज्ञान | शून्यता की साधना |
बगलामुखी | वाक् शक्ति | शत्रु स्तम्भन |
मातंगी | कला, ज्ञान | स्वर और संगीत की देवी |
षोडशी | पूर्णता | परा शक्ति का रूप |
कमलात्मिका | धन | भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि |
📿 माँ बगलामुखी की स्तुति
“ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।”
यह मूल बगलामुखी बीज मंत्र अत्यंत प्रभावशाली और अचूक माना जाता है।
🌟 माँ बगलामुखी की साधना – कब और कैसे करें?
🔸 समय:
- गुप्त नवरात्रि, अमावस्या, मंगलवार और गुरुवार विशेष माने जाते हैं।
- रात्रि का प्रथम प्रहर (8 PM – 11 PM) उत्तम है।
🔸 आवश्यक बातें:
- ब्रह्मचर्य का पालन
- गुरु की आज्ञा से ही साधना करना
- शुद्ध स्थान पर पीले वस्त्र धारण करके पीली वस्तुएँ चढ़ाना
- हवन, जप और ध्यान करना
⏰ मंदिर दर्शन और आरती समय – नलखेड़ा माँ बगलामुखी मंदिर
जो भी श्रद्धालु नलखेड़ा में माँ बगलामुखी मंदिर की यात्रा करता है, उसे वहाँ की गूढ़ शांति, शक्ति की उपस्थिति, और भव्यता का अनुभव होता है। मंदिर केवल एक भवन नहीं, वह संपूर्ण ऊर्जा का केंद्र है।
माँ बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा एक प्राचीन सिद्धपीठ है जहाँ प्रतिदिन हजारों भक्तजन माँ के दर्शन एवं पूजा के लिए आते हैं। मंदिर प्रशासन द्वारा समयबद्ध तरीके से दर्शन, आरती एवं हवन-पूजन की व्यवस्था की जाती है।
🕉️ मंदिर खुलने एवं बंद होने का समय
- प्रातः दर्शन प्रारंभ – सुबह 6:00 बजे से
- रात्रि में दर्शन समाप्त – रात 9:30 बजे तक
- विशेष पर्व एवं नवरात्रि में – रात्रि 11:00 बजे तक दर्शन की सुविधा उपलब्ध होती है।
🙏 आरती समय
🌅 प्रातः मंगला आरती
- समय: सुबह 6:00 बजे
🌇 संध्या आरती
- समय: शाम 7:30 बजे
आरती के समय मंदिर परिसर में दिव्यता और ऊर्जा का अद्भुत संचार होता है। मंगला आरती में भक्तों के बीच सुबह की दिव्य ऊर्जा महसूस की जाती है, जबकि संध्या आरती में माँ की कृपा से वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
🔥 हवन एवं पूजन का समय
- नवरात्रि काल में:
हवन-पूजन का आयोजन सुबह 6 बजे से रात्रि 9:30 बजे तक होता है, सिर्फ आरती के समय को छोड़कर। - श्रद्धालु विशेष रूप से नवरात्रि, अमावस्या, गुरुवार आदि पर्वों पर यहाँ हवन एवं विशेष पूजन के लिए पंजीकरण करवाते हैं।
🧭 नलखेड़ा माँ बगलामुखी मंदिर कैसे पहुँचे? – सम्पूर्ण यात्रा मार्गदर्शिका
माँ बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा तक पहुँचना अत्यंत सरल है क्योंकि यह स्थान रेल, सड़क और वायु मार्ग से भारत के कई प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आइए विस्तार से जानते हैं कि आप इस सिद्धपीठ तक कैसे पहुँच सकते हैं:
🚆 रेल मार्ग द्वारा – Train Route
- निकटतम रेलवे स्टेशन:
- शाजापुर – लगभग 58 किमी दूर
- उज्जैन – लगभग 98 किमी दूर
- महत्वपूर्ण शहरों से रेल संपर्क:
उज्जैन रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, जैसे:- मुंबई
- दिल्ली
- हैदराबाद
- बेंगलुरु
आप इन शहरों से सीधी ट्रेन लेकर उज्जैन आ सकते हैं, फिर वहाँ से टैक्सी, बस या निजी वाहन के माध्यम से नलखेड़ा पहुँचा जा सकता है।
🚌 सड़क मार्ग द्वारा – Road Route
- मुख्य सड़क मार्ग कनेक्शन:
नलखेड़ा, आगर मालवा जिले में स्थित है और यह क्षेत्र सड़क मार्ग से उत्कृष्ट रूप से जुड़ा हुआ है। - आप निम्न शहरों से सड़क मार्ग द्वारा नलखेड़ा पहुँच सकते हैं:
- उज्जैन – 98 किमी
- इंदौर – 156 किमी
- भोपाल – 182 किमी
- कोटा (राजस्थान) – 191 किमी
- यात्रा के विकल्प:
- राज्य परिवहन की बसें (MPSTRC)
- प्राइवेट टूरिस्ट बसें
- टैक्सी, कैब, व प्राइवेट वाहन
सड़क मार्ग से यात्रा करते हुए आप रास्ते में मालवा की सुंदर प्राकृतिक छटा, हरे-भरे खेत और धार्मिक स्थानों का भी आनंद ले सकते हैं।
✈️ वायु मार्ग द्वारा – Air Route
- निकटतम हवाई अड्डा:
देवी अहिल्याबाई होलकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, इंदौर (Indore Airport) – लगभग 156 किमी दूर - इंदौर एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी:
यह एयरपोर्ट निम्न शहरों से प्रतिदिन कई उड़ानों द्वारा जुड़ा हुआ है:- दिल्ली
- मुंबई
- हैदराबाद
- चेन्नई
- बेंगलुरु
- कोलकाता
- अहमदाबाद
- रायपुर
- जबलपुर
- एयरपोर्ट से मंदिर तक कैसे जाएँ:
इंदौर एयरपोर्ट से टैक्सी या बस लेकर नलखेड़ा तक पहुँचना अत्यंत सुविधाजनक है। रास्ते में आप उज्जैन या देवास जैसे धार्मिक नगरों का भी दर्शन कर सकते हैं।
🚩 यात्रा सुझाव
- नवरात्रि, अमावस्या, और विशेष पर्वों पर भारी भीड़ होती है, इसलिए यात्रा की पूर्व योजना बनाना उचित रहेगा।
- मंदिर के निकट धर्मशाला, होटल, और भक्त निवास की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
- सड़क मार्ग से आने वाले श्रद्धालु उज्जैन, आगर, शाजापुर के रास्ते प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद भी ले सकते हैं।
🔱 नलखेड़ा माँ बगलामुखी मंदिर के पास स्थित प्रमुख धार्मिक स्थल और मंदिर
नलखेड़ा स्थित माँ बगलामुखी सिद्धपीठ केवल एक शक्तिपीठ ही नहीं, बल्कि यह क्षेत्र संपूर्ण धार्मिक, आध्यात्मिक एवं तीर्थ यात्रा का केंद्र भी है। यहाँ से कुछ किलोमीटर की दूरी पर भारत के प्राचीनतम और प्रसिद्ध मंदिर भी स्थित हैं, जो न केवल पौराणिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और शिल्पकला की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
🕉️ 1. श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, उज्जैन

दूरी: नलखेड़ा से लगभग 98 किलोमीटर
- विवरण:
श्री महाकालेश्वर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और उज्जैन का प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर कालभैरव नगरी उज्जैन में स्थित है, जिसे भगवान शिव का नगरी भी कहा जाता है। - पौराणिक महत्व:
महाकालेश्वर को कालों के काल कहा गया है। यह मंदिर अपनी भस्म आरती के लिए विश्व प्रसिद्ध है जिसमें तड़के भस्म से भगवान शिव की पूजा की जाती है। - विशेषता:
मंदिर तीन मंजिला है, जहां निचले तल पर महाकालेश्वर लिंग, मध्य तल पर नागचन्द्रेश्वर लिंग, और ऊपर ओंकारेश्वर लिंग की पूजा होती है।
🕉️ 2. श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, नर्मदा तट

दूरी: नलखेड़ा से लगभग 220 किलोमीटर (मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में)
- विवरण:
नर्मदा नदी के मध्य स्थित ओंकार पर्वत पर बना ओंकारेश्वर मंदिर, बारह ज्योतिर्लिंगों में एक है। यह द्वीप प्राकृतिक रूप से ॐ (ओंकार) के आकार में है। - पौराणिक कथा:
कहा जाता है कि यहाँ भगवान शिव ने अपने भक्त मन्दाता की भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं को ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट किया था। - विशेषता:
श्रद्धालु नर्मदा नदी में स्नान कर शिवलिंग पर जल अर्पण करते हैं। यहाँ का वातावरण अत्यंत शांत और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण है।
🕉️ 3. श्री बैजनाथ महादेव मंदिर, आगर-मालवा

दूरी: नलखेड़ा से लगभग 45 किलोमीटर (सुसनेर रोड, NH-27)
- विवरण:
यह मंदिर बाणगंगा नदी के तट पर स्थित है और यह एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जिसे ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने बनवाया था। - निर्माण काल:
मंदिर का निर्माण 1528 ई. में प्रारंभ हुआ और 1536 ई. में पूर्ण हुआ था। इसकी वास्तुकला अद्वितीय है। - शिखर की ऊंचाई:
मंदिर का शिखर लगभग 50 फीट ऊँचा है जो दूर से ही श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। - विशेषता:
यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्व रखता है। इसकी दीवारों पर तत्कालीन स्थापत्य कला और धार्मिक कथाओं के चित्र अंकित हैं।
🧭 नलखेड़ा माँ बगलामुखी मंदिर धार्मिक यात्रा सुझाव
यदि आप नलखेड़ा स्थित माँ बगलामुखी मंदिर की यात्रा कर रहे हैं तो इन मंदिरों को भी अपनी यात्रा में शामिल करें:
मंदिर का नाम | दूरी नलखेड़ा से | विशेषता |
---|---|---|
श्री महाकालेश्वर, उज्जैन | 98 किमी | 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, भस्म आरती |
श्री ओंकारेश्वर, खंडवा | 220 किमी | नर्मदा तट पर ॐ आकार का द्वीप |
श्री बैजनाथ महादेव, आगर | 45 किमी | अंग्रेजों द्वारा निर्मित एकमात्र शिव मंदिर |
🔱 माँ बगलामुखी मंत्र एवं उसका गूढ़ अर्थ
🕉️ मूल मंत्र (Maa Baglamukhi Mantra in Sanskrit)
ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा ॥
Transliteration:
Om Hleem Bagala-mukhi sarva dushtanam vacham mukham padam stambhaya jeevhwam keelaya buddhim vinashaya hleem om swaha
🪔 मंत्र का भावार्थ (Meaning in Hindi):
यह मंत्र माँ बगलामुखी का अत्यंत शक्तिशाली और सिद्ध बीज मंत्र है। यह तांत्रिक दृष्टिकोण से रक्षण (protection), विजय (victory), और शत्रुनाश (destruction of enemies) के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
- ॐ – ब्रह्मांड की मूल ध्वनि, समस्त सृष्टि का मूल।
- ह्लीं (Hleem) – यह माँ बगलामुखी का बीज मंत्र (बीजाक्षर) है। यह मंत्र की ऊर्जा को जाग्रत करता है और इसे शक्ति से भर देता है।
- बगलामुखी – देवी का नाम, जो शत्रु की वाणी, बुद्धि, गति और क्रिया को रोक देती हैं।
- सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय – हे माँ! सभी दुष्टों की वाणी, मुख और पैरों को स्तम्भित (जड़) कर दो।
- जिव्हां कीलय – उनकी जीभ को कीलित (निष्क्रिय) कर दो, जिससे वे कोई गलत या दुष्ट वचन न बोल सकें।
- बुद्धिं विनाशय – उनके बुरे विचारों और बुद्धि को नष्ट कर दो।
- ॐ स्वाहा – मंत्र का समापन, जिससे देवी को आह्वान करके उन्हें यह याचना अर्पित की जाती है।
🪄 भावार्थ (Maa Baglamukhi Mantra Meaning in English):
This mantra is a sacred invocation of Goddess Baglamukhi, one of the Dasha Mahavidyas, requesting her to paralyze and silence all enemies. Here’s the interpreted meaning:
“O Divine Mother Baglamukhi, paralyze the speech, mouth, and movements of all wicked enemies. Seal their tongues and destroy their intelligence. With your divine power, render them completely ineffective. Hleem, Om, Swaha.”
This mantra contains the Bheej Mantra “Hleem”, which is believed to hold the vibrational energy of control, power, and protection.
🧘♀️ मंत्र का प्रयोग कैसे करें? (How to Chant the Mantra)
- संकल्प: किसी विशिष्ट कार्य, मुकदमे, शत्रु नाश या वाणी पर विजय हेतु।
- माला: हल्दी की माला (कुशलता से काम करती है)।
- समय: रात्रि के समय या ब्रह्म मुहूर्त।
- स्थान: पीला आसन, पीली पोशाक, पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके।
- गणना: कम से कम 108 बार प्रतिदिन, विशेष लाभ हेतु 21,000 जप।
- नियम: पूर्ण ब्रह्मचर्य, सात्त्विक आहार, और गुरु निर्देश का पालन अनिवार्य।
🌟 माँ बगलामुखी मंत्र के लाभ (Powerful Benefits of Baglamukhi Mantra)
क्रम | लाभ |
---|---|
1️⃣ | शत्रु की वाणी, बुद्धि और शक्ति को नष्ट करता है। |
2️⃣ | कोर्ट केस, विवाद, और वाद-विवाद में विजय देता है। |
3️⃣ | नकारात्मक शक्तियों और काले जादू से रक्षा करता है। |
4️⃣ | वाक्पटुता, वाणी पर नियंत्रण, और सम्मोहन शक्ति प्रदान करता है। |
5️⃣ | आत्मबल, आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति बढ़ाता है। |
📿 विशेष ध्यान योग्य बातें (Important Notes)
- यह मंत्र तांत्रिक साधना का भाग है, अतः गुरु मार्गदर्शन में किया जाए तो शीघ्र सिद्धि प्राप्त होती है।
- इसका प्रयोग किसी को हानि पहुँचाने हेतु न करें, अन्यथा दुष्परिणाम हो सकते हैं।
- यह मंत्र केवल रक्षा और आत्मरक्षा के लिए प्रयोग में लाया जाना चाहिए।
🙏 नलखेड़ा माँ बगलामुखी मंदिर – FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
माँ बगलामुखी का प्रसिद्ध मंदिर मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा कस्बे में स्थित है। यह लखुन्दर (लक्ष्मणा) नदी के किनारे स्थित है और तांत्रिक साधना के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
यह मंदिर दस महाविद्याओं में आठवीं देवी बगलामुखी को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहाँ माँ की साधना की थी।
यह मंदिर शत्रु नाश, तांत्रिक साधना और सिद्धि प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है।
मान्यतः हवन की लागत ₹2100 से ₹51000 तक होती है।
हाँ, यह तांत्रिक दृष्टि से सिद्ध शक्तिपीठ मानी जाती हैं।
हाँ, यह त्रिशक्ति सिद्धपीठ है जहाँ तीन देवियाँ एक साथ विराजमान हैं।
गुरुवार (बृहस्पतिवार) माँ बगलामुखी की उपासना का विशेष दिन है।
दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, पूर्वमुखी भैरव मंदिर, और उत्तरमुखी राधाकृष्ण मंदिर स्थित हैं।
हाँ, मंदिर प्रांगण के निकट धर्मशालाएं और होटल उपलब्ध हैं।