नवार्ण मंत्र क्या है? : सनातन धर्म के अद्भुत खजाने में एक ऐसा मंत्र है, जो स्वयं ब्रह्म की चेतना का स्वरूप है – वह है “नवार्ण मंत्र”। यह मंत्र केवल ध्वनि नहीं है, यह स्वयं शक्ति है, ब्रह्म है और मोक्ष का द्वार है। यह मंत्र युगों से गुप्त रखा गया, केवल सिद्ध योगियों और तांत्रिकों को ही इसकी दीक्षा दी जाती थी। आज हम इसका ब्रह्मादिय रहस्य, इसकी शक्ति, इसका संसार से संबंध, और यह कैसे मोक्ष प्रदान करता है – इन सबका विस्तृत ज्ञान प्राप्त करेंगे।
🕉️ नवार्ण मंत्र क्या है?

नवार्ण मंत्र को श्रीविद्या तंत्र, दुर्गा उपासना, और तांत्रिक साधनाओं में अत्यंत गोपनीय एवं प्रभावशाली मंत्र माना गया है। यह मंत्र नौ (9) अक्षरों से बना है:
🔸 “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
- ॐ – ब्रह्म का प्रतीक
- ऐं – सरस्वती शक्ति (ज्ञान शक्ति)
- ह्रीं – महालक्ष्मी शक्ति (इच्छा शक्ति)
- क्लीं – महाकाली शक्ति (क्रिया शक्ति)
- चामुण्डायै – चामुण्डा देवी को समर्पण
- विच्चे – मन्त्र की सिद्धि एवं शक्ति का बोध
🌌 नवार्ण मंत्र और ब्रह्मादिय रहस्य
1. 🔐 ब्रह्मादिय का अर्थ क्या है?
ब्रह्मादिय का तात्पर्य उस रहस्य से है जो सृष्टि के आदिकाल में स्वयं ब्रह्मा, विष्णु, महेश को भी ज्ञात नहीं था। यह पराशक्ति का रहस्य है जो केवल आदि शक्ति (मूल प्रकृति) के द्वारा प्राप्त होता है। यह मंत्र ब्रह्म से भी परे शक्ति का आवाहन करता है।
2. 🔮 ब्रह्म की चेतना और नवार्ण मंत्र
- ब्रह्म सत् है, लेकिन चेतना का प्रस्फुटन तभी होता है जब उसमें शक्ति सक्रिय होती है।
- नवार्ण मंत्र वही शक्ति है जो ब्रह्म में चेतना भरती है। इसलिए यह मंत्र केवल एक उपासना नहीं, चेतन ब्रह्म की सक्रियता है।
🌿 नवार्ण मंत्र और यह संसार क्या है?
🌀 यह संसार क्या है?
- यह संसार माया है, एक अस्थायी प्रकट रूप है।
- सबकुछ पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) से बना है, लेकिन इन सबका आधार पराशक्ति है।
- पराशक्ति ही श्रीविद्या, त्रिपुरा सुंदरी, महाकाली, महालक्ष्मी और सरस्वती के रूप में प्रकट होती है।
🧘 नवार्ण मंत्र कैसे संसार के मूल को प्रकट करता है?
- यह मंत्र उस शक्ति को जागृत करता है जिससे यह संसार उत्पन्न हुआ।
- जब साधक इस मंत्र से साधना करता है, तो वह मूल शक्ति को पहचानने लगता है, और माया का भ्रम टूटता है।
🔗 नवार्ण मंत्र और मानव जीवन का सम्बन्ध
🧠 मनुष्य क्यों जन्म लेता है?
- कर्म बंधन, वासनाएं और अज्ञानता के कारण।
- जीव जब तक आत्मा = शरीर मानता है, वह जन्म-मरण के चक्र में फँसा रहता है।
🕯️ नवार्ण मंत्र से कैसे होता है आत्मोद्धार?
- यह मंत्र तीनों शक्तियों को जागृत करता है:
- ज्ञान शक्ति (ऐं)
- इच्छा शक्ति (ह्रीं)
- क्रिया शक्ति (क्लीं)
- जब तीनों शक्तियाँ जागृत होती हैं, तब मनुष्य का चित्त शुद्ध होता है और वह आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है।
🛕 नवार्ण मंत्र और मोक्ष
🧘 मोक्ष क्या है?
- मोक्ष का अर्थ है बंधनों से मुक्ति – कर्मों, वासनाओं, जन्म-मरण चक्र से।
- यह केवल तब होता है जब आत्मा ब्रह्म में विलीन हो जाती है।
🌸 नवार्ण मंत्र से मोक्ष कैसे प्राप्त होता है?
- मंत्र का जाप, ध्यान, और साधना साधक के अंदर देवी शक्ति को जागृत करता है।
- चक्र जागरण (मूलाधार से लेकर सहस्रार तक) इस मंत्र से होता है।
- माया का पर्दा हटता है, और साधक को आत्मस्वरूप का अनुभव होता है।
- तब उसे ज्ञात होता है: “अहं ब्रह्मास्मि” – मैं ही ब्रह्म हूँ।
🌟 नवार्ण मंत्र की सिद्धि कैसे प्राप्त करें?
✅ आवश्यकताएँ:
- गुरु दीक्षा (बहुत आवश्यक)
- शुद्ध जीवन, सत्य वाणी, नियमित साधना
- मंत्र की गोपनीयता बनाए रखना
- रात्रि में जाप, विशेषतः नवरात्रि के समय श्रेष्ठ
🔁 जाप विधि:
- 108 माला, कम से कम 40 दिन (अनुष्ठानिक)
- त्राटक, ध्यान, और यंत्र स्थापना के साथ
- काले कपड़े, कुशासन, दीपक जलाना
🌈 नवार्ण मंत्र के लाभ
क्रम | लाभ |
---|---|
1 | चित्त की शुद्धि |
2 | आध्यात्मिक शक्तियों का जागरण |
3 | चक्रों का जागरण |
4 | आत्मा का अनुभव |
5 | सांसारिक दुःखों से मुक्ति |
6 | ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति |
7 | मोक्ष की ओर प्रस्थान |
📿 विशेष रहस्य: नवार्ण मंत्र का तांत्रिक पक्ष
- यह मंत्र त्रिपुरा सुंदरी की श्रीविद्या साधना का केंद्र है।
- तांत्रिक साधक इसे नवरात्रि, अमावस्या, चैत्र शुक्ल अष्टमी पर विशेष रूप से करते हैं।
- यह दुर्गा सप्तशती, महाविद्या साधना, और श्रीचक्र पूजन में अनिवार्य है।
💫 संसार में सब कुछ कैसे घटित होता है? इस मंत्र से समझें
- संकल्प शक्ति से ब्रह्म ने सृष्टि की रचना की।
- त्रिगुणात्मक माया (सत्व, रज, तम) से सब वस्तुएं बनीं।
- नवार्ण मंत्र में वही त्रिशक्ति समाहित है – ज्ञान, इच्छा, क्रिया।
- जब यह शक्ति भीतर जागती है, तब साधक संसार से ऊपर उठता है और द्रष्टा बनता है – साक्षी।
🔱 नवार्ण मंत्र का दुर्गा सप्तशती, नवदुर्गा, और मानव की आत्मोन्नति से संबंध
मार्ग
🕉️ 1. नवार्ण मंत्र और दुर्गा सप्तशती का संबंध
दुर्गा सप्तशती को चंडी पाठ भी कहते हैं। यह ग्रंथ शक्ति की 700 श्लोकों वाली स्तुति है, जिसमें देवी दुर्गा के विविध रूपों का वर्णन है। इस ग्रंथ के तीन मुख्य भाग हैं:
- प्रथम चरित्र – महाकाली की उपासना (मूलाधार का जागरण)
- मध्यम चरित्र – महालक्ष्मी की उपासना (हृदय व मणिपुर चक्र का जागरण)
- उत्तर चरित्र – महासरस्वती की उपासना (आज्ञा व सहस्रार का जागरण)
अब देखिए:
नवार्ण मंत्र में भी यही तीन शक्तियाँ समाहित हैं:
नवार्ण मंत्र | शक्ति | दुर्गा सप्तशती चरित्र |
---|---|---|
ऐं | सरस्वती (ज्ञान शक्ति) | उत्तर चरित्र |
ह्रीं | लक्ष्मी (इच्छा शक्ति) | मध्यम चरित्र |
क्लीं | काली (क्रिया शक्ति) | प्रथम चरित्र |
➡️ दुर्गा सप्तशती का मूल बीज मंत्र ही नवार्ण मंत्र है।
इसलिए हर अध्याय के प्रारंभ में या अंत में साधक “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप करता है।
🕉️ 2. नवार्ण मंत्र और नवदुर्गा का गहरा संबंध
नवदुर्गा = माँ दुर्गा के नौ रूप – जो नवरात्रि के नौ दिन पूजे जाते हैं:
दिन | देवी का नाम | शक्ति |
---|---|---|
1 | शैलपुत्री | स्थिरता, आरंभ |
2 | ब्रह्मचारिणी | तप, साधना |
3 | चंद्रघंटा | सुरक्षा |
4 | कूष्मांडा | सृजन शक्ति |
5 | स्कंदमाता | मातृत्व |
6 | कात्यायनी | विजय |
7 | कालरात्रि | भय का नाश |
8 | महागौरी | शुद्धि |
9 | सिद्धिदात्री | सिद्धि और मोक्ष |
नवार्ण मंत्र में ये सभी रूप बीज रूप में समाहित हैं, और इस मंत्र से साधना करने वाला व्यक्ति इन सभी नौ शक्तियों को जागृत करता है।
➡️ नवार्ण मंत्र = नवदुर्गा की बीज शक्ति
🔺 3. मानव को यह मंत्र किस स्तर तक ले जा सकता है?
🚶♂️ प्रारंभिक स्तर:
- मन की शांति, भय का नाश, दुःस्वप्नों से मुक्ति
- मानसिक स्थिरता, भावनात्मक शक्ति
🧘♀️ मध्य स्तर:
- चक्रों का जागरण
- ध्यान में गहराई, स्वप्न दर्शन, शक्ति अनुभूति
- कर्म बंधन से मुक्ति
🌟 उच्चतम स्तर (ब्रह्म स्थिति):
- आत्मा का ब्रह्म से योग
- अद्वैत का अनुभव (“मैं ही ब्रह्म हूँ”)
- मोक्ष – जन्म मरण से परे जाना
➡️ यह मंत्र साधक को संसार के अंधकार से उठाकर ब्रह्म के प्रकाश तक ले जाता है।
💊 4. यह मंत्र रोग, कर्ज और दुःख को कैसे दूर करता है?
🧠 मानसिक रोग:
- मंत्र में “ऐं” बीज है – यह ज्ञान, ध्यान, और मानसिक संतुलन प्रदान करता है।
- “विच्चे” बीज मंत्र मानसिक विकारों को काटता है।
💰 आर्थिक कष्ट / कर्ज:
- “ह्रीं” बीज महालक्ष्मी का स्वरूप है – यह समृद्धि और स्थिरता देता है।
- मंत्र के जाप से ऋण बाधाएं, नौकरी संकट, और व्यापार में हानि दूर होती है।
🤒 शारीरिक रोग:
- “क्लीं” बीज मंत्र शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को सक्रिय करता है।
- यह तांत्रिक रूप से काली शक्ति का आवाहन करता है जो रोग, भय, और शत्रु नाशिनी है।
😔 दुःख और बाधाएं:
- मंत्र के निरंतर जाप से दुर्भाग्य और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- साधक की कुंडलिनी शक्ति जाग्रत होती है जो उसे आत्मिक स्तर पर स्थिर करती है।
➡️ मंत्र का प्रभाव केवल आश्रय और आशा नहीं, बल्कि ऊर्जा परिवर्तन है – जो सीधे आपकी सूक्ष्म देह पर कार्य करता है।
📿 विशेष प्रयोग (रोग, कर्ज और बाधा निवारण के लिए):
🕯️ कर्ज मुक्ति प्रयोग:
- शुक्रवार से शुरू कर 11 दिन तक रोज़ 11 माला नवार्ण मंत्र का जाप करें।
- पीली वस्तु का दान करें। मंत्र के साथ “ऋण मोचकम्” संकल्प लें।
🧘 रोग नाशक प्रयोग:
- सुबह स्नान कर सफेद वस्त्र में बैठकर 21 दिन तक रोज़ 108 बार मंत्र जाप।
- देवी का गाय के घी का दीप जलाकर पूजन करें।
🔱 भय और दु:ख नाशक प्रयोग:
- अमावस्या की रात 11 बजे से 3 बजे तक नवार्ण मंत्र का जाप करें।
- “नवदुर्गा यंत्र” का पूजन करें।
🔚 निष्कर्ष: नवार्ण मंत्र – ब्रह्म का साक्षात् रूप
यह मंत्र केवल शब्द नहीं, यह चैतन्य ऊर्जा है। जो व्यक्ति श्रद्धा, भक्ति, और गुरु-कृपा से इस मंत्र को सिद्ध करता है, वह केवल भक्त नहीं, बल्कि स्वयं ब्रह्मरूप हो जाता है।
🚩 यही मंत्र है –
“जो ब्रह्मा, विष्णु, महेश को चलाता है।
जो प्रकृति और पुरुष के पार है।
जो माया को जलाकर ज्ञान देता है।
और जो मृत्यु के पार मोक्ष का द्वार खोलता है।”