गुप्त नवरात्रि, देवी उपासना की एक अत्यंत गूढ़ और रहस्यमयी साधना का समय होता है। यह नवरात्रि वर्ष में दो बार आती है — आषाढ़ और माघ माह में। यह मुख्यतः तांत्रिक, योगी, साधक और गुप्त विद्या में रुचि रखने वालों के लिए विशेष महत्व रखती है।
2025 में गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ 26 जून (बृहस्पतिवार) से हो चुका है और यह 4 जुलाई तक चलेगी। यह काल आत्मशुद्धि, सिद्धि प्राप्ति और जीवन के रहस्यों को जानने का सर्वोत्तम अवसर है।
🔱 गुप्त नवरात्रि का महत्व – हिंदी में, पूरी तरह मौलिक रूप से:

🕉️ गुप्त नवरात्रि: रहस्य, आत्मबोध और सिद्धि का पर्व
साधारण नवरात्रियों की तरह जब सम्पूर्ण समाज देवी दुर्गा की आराधना, भजन, कीर्तन, उत्सवों और व्रतों में लीन होता है, वहीं गुप्त नवरात्रि एक ऐसा अलौकिक और रहस्यमयी काल है, जो केवल साधकों, तांत्रिकों और योगियों के लिए विशेष रूप से रचा गया है।
यह पर्व न तो उत्सव है, न ही प्रदर्शन का अवसर। यह है – आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा, बाहरी दुनिया से हटकर, भीतरी ब्रह्मांड को देखने की साधना।
🔮 गुप्त नवरात्रि क्यों “गुप्त” कहलाती है?
‘गुप्त’ का अर्थ है — छुपा हुआ, रहस्यात्मक, अत्यंत गोपनीय।
गुप्त नवरात्रि में देवी के उन्हीं स्वरूपों की आराधना की जाती है जिन्हें दुनिया की नजरों से छुपाकर केवल पात्र और योग्य साधकों को बताया जाता है।
यह नवरात्रि:
- बाहरी आडंबर रहित
- साधना केंद्रित
- तांत्रिक प्रक्रिया आधारित होती है।
1️⃣ साधक की भीतरी ऊर्जा का जागरण
गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली मंत्र-साधना, ध्यान और तांत्रिक विधियाँ साधक के भीतर स्थित शक्ति केन्द्रों (चक्रों) को जाग्रत करती हैं।
विशेष रूप से:
- मूलाधार से सहस्रार तक की यात्रा प्रारंभ होती है।
- कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है।
- साधक के अंदर शक्ति, शांति और चेतना की लहरें दौड़ने लगती हैं।
2️⃣ मंत्रों की सिद्धि का विशेष काल
गुप्त नवरात्रि में उच्च कोटि के बीज मंत्र, जैसे:
- “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” (नवार्ण मंत्र),
- “ह्लीं बगलामुख्यै नमः” (बगलामुखी मंत्र),
- “ह्रीं तारायै नमः” (तारा मंत्र)
इनका जाप करने से:
- मंत्र तेजस्वी होते हैं,
- सिद्धि मिलती है,
- साधक का वाणी, विचार और दृष्टि में दिव्यता आती है।
3️⃣ दस महाविद्याओं की शक्ति का अनुभव
गुप्त नवरात्रि का सबसे गूढ़ पक्ष है — दस महाविद्याओं की साधना।
ये दस शक्तियाँ संसार की दस दिशाओं, दश चक्रों, और जीवन के दस आयामों की अधिष्ठात्री हैं।
साधक इनमें से किसी एक या सभी की साधना करके:
- शत्रुओं पर विजय,
- वाक् सिद्धि,
- धन-वैभव,
- वैराग्य,
- ब्रह्मज्ञान,
- और अंततः मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
4️⃣ गोपनता – साधना की सबसे बड़ी शक्ति
गुप्त नवरात्रि का एक अत्यंत रहस्यमयी पहलू है “मौन और गोपनता”।
जो साधक:
- अपनी साधना को गोपनीय रखता है,
- अनावश्यक चर्चा से दूर रहता है,
- केवल भीतर की यात्रा पर केंद्रित होता है,
उसे देवी अंतर चेतना के माध्यम से दर्शन देती हैं।
वह अनुभव जो न शब्दों में आ सके, न आंखों से देखा जा सके – वही गूढ़ फल है।
5️⃣ गुरु का सान्निध्य और आंतरिक मार्गदर्शन
गुप्त नवरात्रि साधना का वास्तविक मूल्य तब बढ़ता है जब साधक को साक्षात गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त हो।
गुरु:
- मंत्र को प्राण देते हैं,
- साधना को गति देते हैं,
- और साधक को ब्रह्म के द्वार तक पहुंचाते हैं।
बिना गुरु साधना भ्रम, और गुरु के साथ साधना सिद्धि बन जाती है।
6️⃣ माया के पार जाने का साधन
गुप्त नवरात्रि का एक विशेष उद्देश्य है — “माया का भेदन”।
यह नवरात्रि:
- मन के भ्रमों को हटाती है,
- मोह, लोभ, क्रोध, अहंकार को नष्ट करती है,
- और साधक को सत्य की ओर मोड़ती है।
गुप्त नवरात्रि में साधक पहली बार जानता है कि “मैं शरीर नहीं, आत्मा हूँ।”
7️⃣ साधना से सिद्धि तक की प्रक्रिया
गुप्त नवरात्रि का गूढ़ महत्व केवल पढ़ने या सुनने में नहीं, अनुभव में है।
जो साधक प्रतिपदा से नवमी तक नियम, ब्रह्मचर्य, मंत्र जाप, ध्यान और तांत्रिक विधियों का पालन करता है — वह:
- अपनी संकल्प शक्ति को जाग्रत करता है।
- जीवन के कर्मबन्धनों से मुक्त होता है।
- और स्वयं के भीतर स्थित देवी को प्रत्यक्ष अनुभव करता है।
📅 गुप्त नवरात्रि 2025 – तिथि, दिन, और देवी स्वरूप
दिनांक | वार | तिथि (हिन्दी पंचांग अनुसार) | देवी स्वरूप | मुख्य पूजा/विधि |
---|---|---|---|---|
26 जून | गुरुवार | प्रतिपदा | शैलपुत्री | घट स्थापना, कलश पूजन, दुर्गा सप्तशती प्रारंभ |
27 जून | शुक्रवार | द्वितीया | ब्रह्मचारिणी | साधना की दृढ़ता, मंत्रों की दीक्षा |
28 जून | शनिवार | तृतीया | चंद्रघंटा | ध्यान योग, तांत्रिक आराधना प्रारंभ |
29 जून | रविवार | चतुर्थी | कूष्मांडा | सिद्ध कुंजिका, अर्गला स्तोत्र पाठ |
30 जून | सोमवार | पंचमी | स्कंदमाता | प्राचीन तंत्र पूजा प्रारंभ |
1 जुलाई | मंगलवार | षष्ठी | कात्यायनी | शत्रु नाशक साधनाएं, बगलामुखी पूजा |
2 जुलाई | बुधवार | सप्तमी | कालरात्रि | महाकाली, भैरवी साधना विशेष |
3 जुलाई | गुरुवार | अष्टमी | महागौरी | हवन, तारा साधना, मोक्ष साधना |
4 जुलाई | शुक्रवार | नवमी | सिद्धिदात्री | पूर्णाहुति, सिद्धि प्राप्ति की साधना, कन्या पूजन (इच्छानुसार) |
🕉️गुप्त नवरात्रि 2025 में 10 महाविद्याओं की साधना
क्रम | देवी स्वरूप 🙏 | मुख्य शक्ति / विद्या 🔮 | तांत्रिक महत्व 💠 | बीज मंत्र 📿 |
---|---|---|---|---|
1️⃣ | महाकाली 🖤 | काल नियंत्रण, मृत्यु विजय | रात्रि शक्ति, तामसिक ऊर्जा, रक्षा कवच | ॐ क्रीं कालिकायै नमः |
2️⃣ | तारा देवी 🔷 | ब्रह्मज्ञान, प्रबल बुद्धि | तंत्र-मंत्र की शिक्षिका, भय नाश | ॐ ह्रीं स्त्रीं हूं फट् |
3️⃣ | त्रिपुरसुंदरी (षोडशी) 🧡 | सौंदर्य, भोग और मोक्ष | श्रीविद्या की अधिष्ठात्री, ब्रह्मानंद | ॐ ऐं क्लीं सौः |
4️⃣ | भुवनेश्वरी 🌌 | सृष्टि की रचयिता | जगत की अधिष्ठात्री, आभामंडल शक्ति | ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्यै नमः |
5️⃣ | भैरवी 🔥 | तपस्या, तेज, युक्ति | अग्निशक्ति, युद्ध और यश की देवी | ॐ ऐं ह्रीं भैरव्यै नमः |
6️⃣ | छिन्नमस्ता ⚡ | आत्मबलिदान, चित्त-विजय | अहंकार विनाश, शक्ति प्रस्फुटन | ॐ क्षं ह्रीं ह्रूं फट् स्वाहा |
7️⃣ | धूमावती ☁️ | वैराग्य, माया भंजन | त्याग, ज्ञान, वृद्ध अवस्था की प्रतीक | ॐ धूं धूमावत्यै नमः |
8️⃣ | बगलामुखी 🟡 | शत्रु स्तम्भन, वाक् सिद्धि | विवाद, कोर्ट केस, राजनैतिक विजय | ॐ ह्लीं बगलामुख्यै नमः |
9️⃣ | मातंगी 🪷 | संगीत, विद्या, वाणी | मन्त्र शक्ति, सरस्वती रूप, तांत्रिक विद्या | ॐ ह्रीं मातंग्यै नमः |
🔟 | कमला 💰 | धन, ऐश्वर्य, सुख | तांत्रिक लक्ष्मी, भौतिक और आत्मिक समृद्धि | ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कमलालयै नमः |
🧬🔱 गुप्त नवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व और अंबुबाची महापर्व से संबंध
भारत की आध्यात्मिक परंपरा में गुप्त नवरात्रि केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि वैज्ञानिक चेतना और प्रकृति के रहस्यों का गूढ़ संदेश है।
इसी समय असम के कामाख्या धाम में अंबुबाची महापर्व मनाया जाता है, जिसे देवी की ऋतु काल (menstruation) के रूप में देखा जाता है।
यह काल प्रकृति की सृजनशक्ति और स्त्रीत्व के सम्मान का भी पर्व है।
🧬 गुप्त नवरात्रि का वैज्ञानिक आधार
🌀 1. शरीर में ऊर्जा चक्र (Chakras) का जागरण काल

गुप्त नवरात्रि के 9 दिन कुंडलिनी जागरण की दृष्टि से अत्यंत प्रभावशाली होते हैं।
यह काल विशेष रूप से:
- मूलाधार (Root Chakra) से सहस्रार (Crown Chakra) तक ऊर्जा को प्रवाहित करता है।
- जब साधक मंत्र जाप, ध्यान और प्राणायाम करता है, तो मस्तिष्क में पीनियल ग्रंथि (Pineal Gland) सक्रिय होती है – जिसे आध्यात्मिक अंतर्ज्ञान का द्वार माना जाता है।
🌗 2. चंद्रमा और पृथ्वी की ऊर्जा स्थिति
गुप्त नवरात्रि हमेशा अमावस्या से आरंभ होती है, जो पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा के शमन और सकारात्मक ऊर्जा के संचार का काल है।
- चंद्रमा की घटती अवस्था में मन और चित्त अधिक संवेदनशील होते हैं।
- इसलिए ध्यान और मंत्र साधना इस समय तेज़ परिणाम देती है।
🧬 3. DNA Activation और संकल्प शक्ति
गुप्त नवरात्रि के दौरान मंत्रजप और ध्यान मस्तिष्क की तंत्रिकाओं (Neurons) को प्रभावित करता है:
- ध्वनि स्पंदन (Mantra Vibration) से संपर्क प्रणाली (neural connections) सशक्त होती है।
- मस्तिष्क के डॉर्मेंट (सुप्त) हिस्से सक्रिय होते हैं, जिसे आधुनिक विज्ञान DNA activation कहता है।
🩸 अंबुबाची महापर्व और गुप्त नवरात्रि का संबंध
🌺 1. कामाख्या पीठ और अंबुबाची का रहस्य
कामाख्या देवी शक्ति की जननी मानी जाती हैं।
अंबुबाची पर्व में यह विश्वास किया जाता है कि देवी कामाख्या तीन दिन तक ऋतुमती होती हैं।
यह समय:
- देवी की रचना शक्ति को सम्मानित करने का है।
- संपूर्ण पृथ्वी को ऊर्जा मिलती है, जैसे स्त्री के गर्भ से जीवन।
🔗 2. गुप्त नवरात्रि और अंबुबाची – समान ऊर्जात्मक काल
- गुप्त नवरात्रि और अंबुबाची दोनों ही प्राकृतिक ऊर्जा के विस्फोट का काल हैं।
- जहाँ गुप्त नवरात्रि में साधक भीतर की शक्ति को जागृत करता है,
- वहीं अंबुबाची में पृथ्वी की शक्ति (देवी) विश्राम करती हैं, और तीन दिन बाद पुनः सृजन में प्रविष्ट होती हैं।
🕸️ 3. तांत्रिकों की दृष्टि से यह अत्यंत सिद्धिकाल
- तंत्रशास्त्र में कामाख्या पीठ को महाशक्ति केंद्र माना गया है।
- गुप्त नवरात्रि और अंबुबाची एक साथ आने पर तांत्रिक क्रियाएं अत्यंत फलदायी होती हैं।
- यह काल “शक्ति जागरण तिथि” के रूप में जाना जाता है।
🧘♀️ गुप्त नवरात्रि और अंबुबाची – चेतना की वैज्ञानिक यात्रा
तत्व | गुप्त नवरात्रि | अंबुबाची |
---|---|---|
प्रकृति का रूप | साधक की आत्मशक्ति | देवी की सृजनशक्ति |
वैज्ञानिक प्रक्रिया | ध्यान, न्यूरॉन एक्टिवेशन, प्राण ऊर्जा जागरण | धरती की ऊर्जा सक्रिय होती है, जैविक जीवन को पोषण मिलता है |
अवधि का रहस्य | अमावस्या से आरंभ – भीतरी विश्राम और जागरण | मासिक चक्र – प्रकृति की आत्मशुद्धि |
साधना का फल | सिद्धि, कुंडलिनी जागरण | देवी दर्शन, पूर्णता, भूमि शक्ति |
गुप्त नवरात्रि 2025 FAQs (Google पर सबसे ज़्यादा पूछे जाने वाले सवाल)
गुप्त नवरात्रि 2025 की शुरुआत 26 जून 2025 (गुरुवार) से हो रही है और यह 4 जुलाई 2025 तक चलेगी।
गुप्त नवरात्रि मुख्यतः तांत्रिक साधनाओं, दस महाविद्याओं की पूजा और आत्मसिद्धि हेतु होती है जबकि सामान्य नवरात्रि सामाजिक रूप से नवदुर्गा के उत्सव रूप में मनाई जाती है।
इस काल में मुख्यतः दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है: महाकाली, तारा, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला।
हाँ, लेकिन विशेष तांत्रिक साधनाओं से दूर रहकर, सरल दुर्गा उपासना, व्रत और नवार्ण मंत्र जाप करना आम व्यक्ति के लिए सुरक्षित और फलदायी होता है।
गुप्त नवरात्रि और अंबुबाची एक ही काल में आते हैं। अंबुबाची पर्व देवी की ऋतु के रूप में मनाया जाता है जबकि गुप्त नवरात्रि तांत्रिक ऊर्जा और आत्मचेतना जागरण का समय होता है।
मुख्यतः नवार्ण मंत्र (ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे), बगलामुखी बीज मंत्र, त्रिपुरसुंदरी षोडशी मंत्र और तारा मंत्र की सिद्धि इस काल में की जाती है।
हाँ, रात्रिकाल विशेषकर मध्यरात्रि (12 AM – 3 AM) को साधना करना अत्यंत फलदायी और सिद्धिकारक माना जाता है।
ब्रह्मचर्य, सात्त्विक आहार, मौन, नियमित मंत्र जाप, गोपनता और ध्यान — ये सभी नियम आवश्यक हैं।
आत्मशक्ति जागरण, मंत्र सिद्धि, भय नाश, शत्रु विनाश, ब्रह्मज्ञान, कुंडलिनी जागरण और मोक्ष की प्राप्ति — ये गुप्त नवरात्रि के प्रमुख लाभ हैं।